३ प्रकार की जागृति कोई दो सौ वर्ष पहले जापान में एक बहुत ही अद्भुत संन्यासी हुआ था। उस संन्यासी की एक ही शिक्षा थी जागो! नींद छोडो उस साधु की खबर जापान के सम्राट तक पहुंची। सम्राट छोटा था, और बस नए सिंहासन पर बैठा था। उसने फकीर को बुलाया। और उस फकीर से दुआ की, मैं भी जागना चाहता हूं। क्या आप मुझे जागना सिखा सकते हैं? फकीर ने कहा, मैं पढ़ा सकता हूं, लेकिन महल में नहीं, आपको मेरी कुटिया में आना है! आप कितने दिनों में सीख पाएंगे, यह निश्चित नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की तीव्रता पर निर्भर करता है; यह प्रत्येक मनुष्य के असंतोष पर निर्भर करता है कि वह सीखने का कितना प्यासा है। आपकी प्यास कितनी है? आपकी संतुष्टि कितनी है? आपकी असहमति कितनी है; तब आप सीख सकते हैं। और वह राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि आप कितनी जल्दी सीख सकते हैं। इसमें साल लग सकते हैं, दो साल लग सकते हैं, दस साल लग सकते हैं। और मेरी शर्त है कि मैं तुम्हें बीच से कभी नहीं आने दूंगा; अगर सीखना है तो पूरी तैयारी से आएं। और साथ ही मैं यह भी बता दूं कि मेरे तरीके मेरे अपने तरीके के हैं। तुम यह मत कहो कि वे मुझसे क्या करवा रहे ह