दोस्तों, आपके जीवन में भी ऐसा बहुत बार होता होगा कि आपको कोई भी कुछ कह देता है फिर उसके बाद आप पूरा समय परेशान रहते है. आज की कहानी इसी से सम्बंधित है कि कैसे ऐसी बातो को avoid किया जाए व अपने मन को खुश रखा जाए. कहानी का शीर्षक है.
गंदे कपड़े
ओसाका जापान का एक शहर है जहां शहर के पास एक गांव में एक विद्वान संत हुआ करते थे। एक दिन संत अपने एक अनुयायी के साथ सुबह की सैर कर रहे थे। अचानक एक व्यक्ति उसके पास आया और उसे अपशब्द कहने लगा। उन्होंने संत के लिए कई अपशब्द कहे लेकिन संत फिर भी मुस्कुराते रहे। जब उस व्यक्ति ने देखा कि संत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उनके पूर्वजों को भी गाली देने लगा।
फिर भी संत मुस्कुराते रहे और संत पर कोई प्रभाव न देखकर वह व्यक्ति निराश हो गया और अपने रास्ते से हट गया। जैसे ही वह व्यक्ति चला गया, संत के अनुयायी ने उस संत से पूछा कि उसने अपने दुष्टों के शब्दों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया, वह बोलता रहा और आप मुस्कुराते रहे, क्या आपको उसकी बातों से ज़रा भी दुख नहीं हुआ।
संत ने कुछ नहीं कहा और अपने अनुयायियों को उनके पीछे चलने का संकेत दिया। कुछ देर चलने के बाद दोनों संत के कमरे में पहुंचे। संत ने उससे कहा, तुम यहीं रुको, मैं अभी भीतर से आया हूं। कुछ देर बाद संत अपने कमरे से बाहर आए, उनके हाथों में कुछ गंदे कपड़े थे, उन्होंने बाहर आकर अनुयायी से कहा, "यहाँ तुम अपने कपड़े उतारो और ये कपड़े पहनो, इस पर उस व्यक्ति ने देखा कि वहाँ एक बहुत था उन कपड़ों में तेज अजीब सी गंध आ रही थी, जब वह आ रही थी, तो उसने हाथ में लेते ही उन कपड़ों को फेंक दिया।
संत ने कहा अब समझो कि जब कोई बिना मतलब के आपको बुरी बातें कहता है, तो आप क्रोधित हो जाते हैं और अपने साफ कपड़े की जगह उसके द्वारा फेंके गए अपशब्दों को पहन लेते हैं। अतः जिस प्रकार तुम अपने स्वच्छ वस्त्रों के स्थान पर इन गंदे वस्त्रों को नहीं पहन सकते, उसी प्रकार मैं भी उस व्यक्ति पर फेंके गए अपशब्दों को कैसे धारण कर सकता था, यही कारण था कि मुझे उसकी बातों की परवाह नहीं थी।
आप सभी का दिन अच्छा हो। 🙏🙏🏻
मै आशा करती हूँ कि अब से यदि आपको कोई भी कुछ अपशब्द कहेगा तो उसकी कही हुई बातो का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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