दोस्तों, आज हम आपके पास माँ के प्यार, माँ की ममता से सम्बंधित कहानी लेकर आये है. जिसे पढ़कर आपको पता चलेगा कि मोह और प्यार में क्या फर्क होता है?
आज की कहानी
माँ की ममता की पराकाष्ठा
गांव के सरकारी स्कूल में संस्कृत की कक्षाएं चल रही थीं। गुरुजी दीपावली की छुट्टियों का काम बता रहे थे।
तभी शायद किसी शरारती छात्र के पटाखों की वजह से स्कूल के स्टोर रूम में पड़े कालीन और कपड़ों में आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। वहां पड़ा सारा फर्नीचर भी नष्ट हो गया।
सभी छात्रों ने आसपास के घरों, हेड पंपों से हाथ में आए बर्तनों में पानी भरकर आग बुझाने में जुट गए.
काफी देर तक आग बुझने के बाद स्टोर रूम में घुसने के बाद सभी छात्रों की नजर स्टोर रूम की बालकनी पर लगे कोयले से बनी चिड़िया की ओर गई.
पक्षी को देखकर कोई भी यह कह सकता था कि पक्षी ने उड़कर अपनी जान बचाने की कोशिश तक भी नहीं की थी और वह स्वेच्छा से आग में भस्म हो गया था।
इस बात से सभी बहुत हैरान और परेशान थे।
एक छात्र ने कोयले से बनी चिड़िया को धक्का दिया तो उस पक्षी के नीचे से तीन नवजात चूजे मिले, जो सुरक्षित थे और चहक रहे थे।
उन्हें आग से बचाने के लिए चिड़िया अपने पंखों के नीचे छिप गई और अपने चूजों को अपनी जान देकर बचा लिया।
यह सब देखकर एक छात्र के मन में प्रश्न आया कि इस पक्षी को अपने बच्चों से कितना आसक्ति से भरा प्यार था, कि इसने अपनी जान भी दे दी? उस छात्र ने यह प्रश्न अपने गुरु जी से पुछा.
गुरुजी ने थोडा सोचा और कहा - नहीं, यह मोह नहीं है, यह आसक्ति नहीं है, बल्कि यह तो माँ के प्यार की पराकाष्ठा है, जहाँ प्रेम होता है वही त्याग होता है, वरना ऐसी विकट स्थिति प्रत्येक व्यक्ति अपनी जान बचाता है और भाग जाता है। पृथ्वी और आकाश में प्रेम और मोह में अंतर है।
मोह में यानि आसक्ति में स्वार्थ है और प्रेम में त्याग है।
भगवान ने मां को प्यार की मूर्ति बनाया है और मां के प्यार से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है।
मां की कृपा से हम कभी भी बाध्य नहीं हो सकते।
तो दोस्तों माँ की आँखों में कभी आंसू मत आने देना !!
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