युद्धग्रस्त यूक्रेन छोड़ रहे भारतीयों की पोलैंड कर रहा है मदद : कभी जामनगर के महाराजा ने अनाथ पोलिश बच्चों को दी थी शरण―
◆ यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने में पोलैंड कर रहा है मदद बिना वीजा के अपने देश में दे रहा है एंट्री।
◆ गुजरात के महाराजा जाम साहब दिग्विजयसिंह जी रणजीतसिंह जी भारतीय राजा जिसने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड के हजारों बच्चों और महिलाओं को बचाया था।
◆ गुजरात के महाराजा जाम साहब दिग्विजयसिंह जी रणजीतसिंह जी का नाम जितना बड़ा है उतना ही बड़ा उनका कद है।
◆ भारत में ही नहीं विदेशों में भी इस राजा का नाम सम्मान से लिया जा जाता है पोलैंड में तो उनके नाम पर कई सड़कों और योजनाओं के नाम रखे गए हैं।
◆ महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह 1933 से 1984 तक नवानगर के महाराजा रहे उनकी एक पहचान यह भी है कि वो भारत के मशहूर क्रिकेटर रणजीत सिंह जी के भतीजे थे।
◆ लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 1921 में ब्रिटिश सेना का हिस्सा बने थे अपनी कार्यकुशता के कारण वो आगे लेफ्टिनेंट के रूप में पदोन्नत भी हुए।
◆ महाराजा दिग्विजय सिंह को पोलैंड में लोग मसीहा के रूप में इसलिए देखते हैं क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वो पोलैंड के आम लोगों की मदद के लिए आगे आए थे।
◆ हिटलर द्वारा पोलैंड पर आक्रमण किए जाने के समय वहां के सैनिकों ने अपनी महिलाओं और बच्चों को एक जहाज में बिठाकर समुद्र में छोड़ दिया था यह जहाज जब भटकते हुए गुजरात के जामनगर के तट पर पहुंचा था तब महाराजा दिग्विजय सिंह ने पोलिश लोगों को शरण दी थी।
◆ उन्होंने न सिर्फ हजारों पोलिश लोगों की मदद की बल्कि नौ सालों तक उनका ख्याल रखा उन्होंने रहने, खाने और पढ़ाई, हर चीज का इंतजाम किया था।
◆ इन्हीं शरणार्थी बच्चों में एक बच्चा बाद में पोलैंड का पीएम बना और महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह को अमर कर दिया पोलैंड की राजधानी वारसा में कई सड़कों के नाम उनके नाम पर हैं उनके नाम पर पोलैंड में कई योजनाएं भी चलती हैं।
◆ 'जाम साहब दिग्विजय सिंह' आज भले ही हमारे बीच में नहीं हैं मगर वो लोगों के दिलों में एक मसीहा के रूप में हमेशा जिंदा रहेंगे।
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