-सारा संसार एक निश्चित गति से चल रहा है ।
-धरती 29 कीलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से चल रही है ।
-सौर मंडल के सभी ग्रह तथा उपग्रह अपनी अपनी निछचित गति के अनुसार अपनी धुरी पर घूम रहे हैं ।
-ऐसे ही सूर्य एवम आकाश गंगा भी एक निर्धारित गति से चल रही है ।
-पांचो तत्व भी हर समय चलते रहते हैं । इनकी भी अलग अलग गति हैं ।
-कोई भी ठोस वस्तु के सूक्ष्म अणु एलेक्ट्रोंन, न्युट्रान और प्रोटोन एक निर्धारित गति से घूमते रहते हैं ।
-सूक्ष्म शक्तियां, विद्युत तथा चुम्बकीय शक्ति, रेडियो तरंगे, लेज़र तरंगे और अनेकों बलशाली सूक्षम और स्थूल गैसे भिन्न भिन्न गति से हर समय चलती रहती हैं ।
-आज तक जितनी भी खोजे हुई हैं उन के अनुसार प्रकाश की गति सब से तेज है । प्रकाश तीन लाख
किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से चलता है ।
-यह माना गया है कि मन भी उसी तत्व से बना है जिस तत्व से सूर्य बना हुआ है । इस हिसाब से मन की गति भी तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड होनी चाहिये ।
-सूर्य से प्रकाश को धरती पर पहुचने मे आठ मिनिट लगते है । परंतु वास्तव मे मन द्वारा हम एक सेकेंड से कम समय मे सूर्य को देख लेते हैं । इस से भी अधिक मन एक सेकेंड से कम समय में ब्रह्मांड में कहीं भी आ जा सकता है । यह सिध्द करता है की मन की गति प्रकाश की गति से भी बहुत तेज है ।
-वास्तव मे इस ब्रह्मांड मे एक सबसे सूक्ष्म तत्व है जिसे ईथर कहते हैं । यह तत्व सभी ग्रहों, आकाश गंगा, ब्लैक होल, सूक्ष्म लोक और परमधाम जहां परमात्मा रहते हैं, वहां तक व्यापक है । यह तत्व संकल्पों का सुचालक है ।
- हमारा मन अर्थात जहां हमे विचार उठते है वहां पर ईथर तत्व है । हम जो भी संकल्प करते है वह ईथर मे ही करते है, जिस कारण हमारे विचार ईथर के द्वारा सारे ब्रह्मांड मे सोचते ही फैल जाते है । यही कारण है कि सोचते ही हम कहीं भी पहुंच जाते है ।
-मन की गति कितनी है यह जानना बहुत ज़रूरी है । यह जानने से अनजाने में मन द्वारा किये जा रहे नुकसानों से बच सकेंगे तथा मन द्वारा सहज ही विश्व का कल्याण कर पायेंगे ।
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