अंबानी-अडानी के लिए घृणा और नडेला-पिचाई-पराग के लिए वाह-वाही: भारतीयों के दोहरे मापदंड
भारत में रहकर भारत के लिए काम करने वालों को केवल अपशब्द मिलते हैं!
पराग अग्रवाल के ट्विटर प्रमुख बनते ही व्हाट्सऐप वारियर्स, रंग बहादुर बनकर उभरे। लोगों ने अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराए जा रही रोजगार की सुविधा पर ध्यान दिया। लोगों ने बहुत प्रशंसा भी की और यह बताना चाहा कि अगर कहीं मौके की बात आती है तो अमेरिका सबसे ऊपर है।
“अंबानी-अडानी ने देश के लिए 20 नडेला, 200 पिचाई और 1000 परागों के 10 गुना से अधिक संपत्ति और नौकरियां पैदा की हैं, फिर भी उन्हें केवल सोशल मीडिया पर नफरत मिलती है। हम एक ऐसे राष्ट्र हैं जो ब्रेन ड्रेन की चिंता करते हैं और देश में धन बनाने वालों को कोसते हैं।”
■ भारत के वो बुद्धिजीवी जो अडानी-अम्बानी का विरोध करते रहते हैं, असल में वो और कुछ नहीं बल्कि कुंठा के चलते ऐसे विरोध करते है। वो खुद कुछ नहीं कर सकते हैं और भारत मे रिलायंस-जिओ की वजह से डेटा सस्ता है, इसलिए ये ऐसा काम मजे से करते रहते हैं।
■ इस नफरत के पीछे सिर्फ राजनीति की जाती है और यह हमारे समाज की मानसिकता को भी दिखाता है, जिसके तहत जो विदेश में नौकरी करता है, वो देश की भलाई के लिए यहां काम करने वाले से ज्यादा सम्मान कमाता है। बात कड़वी है, लेकिन सच है।
■ यह भारत की गुलाम मानसिकता को दिखाता है। ब्रेन ड्रेन तो वास्तविक समस्या है, लेकिन भारत को भारत मे, भारत के लिए धन बनाने वालों के साथ खास समस्या है।
■ अगर पिचाई, नडेला या अग्रवाल यहां होते, तो हमें उनके साथ भी समस्या होती। यह सिर्फ इतना है कि उन्हें गोरों द्वारा अमरीकी कंपनी चलाने के लिए चुना गया, इसलिए हम इतने प्रभावित हैं। इस दोगले वातावरण में कुछ ना करने वाले कि उतनी ही आलोचना होती है, जितना उपलब्धि पाने वालों की होती है।
मुकेश अंबानी की अध्यक्षता वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) जैसी कंपनी ने अपने 50 वर्षों के शासन में कांग्रेस की तुलना में राष्ट्र के विकास के लिए अधिक काम किया है।
◆ अकेले RIL ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 75,000 से अधिक नौकरियों को जोड़ा और वित्तीय वर्ष 2020-21 में COVID-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के बावजूद 50,000 से अधिक फ्रेशर्स को काम पर रखा है।
◆ कंपनी ने इस वर्ष के दौरान 50,000 से अधिक फ्रेशर्स को काम पर रखा, जिसमें कुछ प्रमुख संस्थानों जैसे IIM, XLRI, ISB, IIT, NIT, BITS और ICAI के छात्र शामिल हैं ।
टाटा नाम की एक और घरेलू कंपनी भारत के लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण एक सदी से भी अधिक समय तक भारत की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देने में कामयाब रही है।
◆ फरवरी में, टीसीएस को लगातार छठे वर्ष के लिए शीर्ष नियोक्ता संस्थान द्वारा वैश्विक शीर्ष नियोक्ता नामित किया गया था।
◆ कंपनी ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्तीय वर्ष में यूएस $ 22 बिलियन का समेकित राजस्व उत्पन्न किया, और यह BSE और NSE पर सूचीबद्ध है।
भारत जब तक भारतीयता नहीं सीखेगा, तब तक हमें गूगल में भविष्य दिखेगा और बेंगलुरु में अंधेरा दिखेगा।
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