प्रेम और रिश्ते
-प्रेम ही सृष्टि की मूल उर्जा है । हम अपने हृदय मे जितना प्रेम महसूस करते है हमे उतना ही प्रेम मिलता है ।
-प्रेम एक रेडियो स्टेशन की तरह है । यह प्रसारण परमपिता परमात्मा की ओर से हर समय प्रसारित होता रहता है । बस हमे इस प्रसारण को हर समय सुनना है और वह हम तब सुन सकेंगे जब हम खुद प्रेम की फ्रेक्वेन्सी पर होगे अर्थात हमारे मन मे प्रेम होगा ।
-अगर आप अपने को प्रेम से भरपूर रखे और दूसरो को प्रेम दे तो आप दुनिया के सब से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति होगे । महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति से भी अधिक शक्तिशाली होगे । सारा विश्व आप को सलाम करेगा।
-अगर आप कोई सार्थक सम्बन्ध बनाना चाहते है तो ऐसे व्यक्तियों की तलाश छोड़ दो और खुद सार्थक बन जाओ तब सभी व्यक्ति आप के जीवन मे सार्थक सिध्द होगे ।अगर दूसरे व्यक्ति ऐन मौके पर बदल जाते है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि अभी आप के जीवन मे सार्थकता नही आई है ।
-लोग अपने जीवन मे आदर्श साथी की खोज मे लगे रहते है और वह उन्हे नही मिलता इसका सीधा सा कारण यह है कि अभी आप खुद आदर्श नही बने है जैसा वह साथी चाहता है । जिस दिन आप खुद आदर्श बन जायेगे तब वैसे लोगो की लाइन लग जायेगी ।
-रिश्ते और कुछ नही सिर्फ अपने गुणों की पसंद और ना पसंद है ।
-हम उन लोगो से प्रेम करने लगते हैं , जिन मे हम ऐसे गुण देखते है जो गुण हमे भी पसंद है । तथा हम उन लोगो को न पसंद करने लगते है, जिन मे हम ऐसे अवगुण देखते है जो अवगुण हमे पसंद नही है ।
-आप जिस भी व्यक्ति को अपने जीवन मे लाना चाहते हैं बस अपने मन मे यह सोचना और संकल्पों मे प्रसारित करना शुरू कर दो कि वह वैसा ही बन रहा है जैसा आप चाहते है । बेशक उस का वर्तमान रुप कितना ही विपरीत हो । आप उसे अपने विचारो के अनुकूल बनता हुआ सोचे ।
-जिस रिश्ते से आप उस से बात करना चाहते है पहले अपने मन मे उस रिश्ते की उन्हे भावना दो । लोग हमारी भावना सुनना चाहते है ।वह तुम्हारी आवाज़ मे उनके प्रति तुम्हारे प्रेम को सुनना चाहते है । वह तुम से बात नही करते क्योंकि वह तुम्हारे हृदय को और सुनना चाहते है । जब तुम दिल से बात करने को तैयार हो जाते हो तो वह भी तुम्हारे साथ बात करने को तैयार हो जाते है ।
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