-सांस और विद्युत
- मनुष्य को जीवित रहने के लिये और सफलता प्राप्त करने के लिये दो चीजो की जरूरत होती है । एक है सांस और दूसरा है संकल्प ।
-शरीर को स्वस्थ रखने के लिये समस्त शक्तियां सांस से मिलती है । सांस है तो हम जिंदा है । सांस रुक जाये तो हम मृत घोषित कर दिये जाते है ।
-यह जो हम सांस लेते है, इस के अन्दर विद्युत होती है, जिसे जीवनी विद्युत कहते है। इस विद्युत के लगातार मिलते रहने से हमारा शरीर ठीक कार्य करता है । जब इस विद्युत मे अवरोध आता है तो शरीर के कुछ हिस्सों को यह नहीं मिल पाती, जिस से शरीर के उस भाग मे बीमारी पैदा हो जाती है । प्राणायाम के माध्यम से विद्युत शरीर के सभी भागो मे पहुंच जाती है, जिस से हम फ़िर नीरोगी हो जाते है ।
-नाक के भीतर उसके अंतिम भाग मे कुछ तंतु होते है जो सांस द्वारा ली गई हवा मे से विद्युत छांटते है ।
-फेफड़ों के अन्दर भी यह तंतु होते है जो हवा से विद्युत छांटते है ।
-चमड़ी के अन्दर जो छोटे छोटे छेद होते है वह भी हवा में से विद्युत खींचते है । शरीर के अन्दर जो टूट फूट होती है उसे पसीने के रुप मे चमड़ी इन्ही पोरों से बाहर निकालती है ।
-त्वचा को खुला रखने से हम सूर्य से पर्याप्त विद्युत खींचते है । इस लिये सूर्य स्नान से रोगी ठीक हो जाते है ।
-जीभ भी भोजन के अन्दर से विद्युत ही खीचती है ।
-भोजन का स्वाद ही उसकी विद्युत है । भोजन को खूब चबाने पर जो स्वाद आता है, यॆ उस अन्न की विद्युत है । इसलिये कहा गया है भोजन का हर ग्रास 32 बार चबाना चाहिये ।
-अन्न, फल, शाक सब्जी, हरी पतेदार सब्जियों मे प्रचुर मात्रा मे विद्युत होती है ।
-अन्न की विद्युत जीभ द्वारा सोख ली जाती है । अन्न की यॆ विद्युत शरीर का कोई और अंग लिवर, किडनी तथा पेट आदि नहीं खींच सकते ।
-होमियोपैथी दवा जीभ पर रखने मात्र से ही उसका प्रभाव पड़ता है ।
-सेंट पौधों और फूलों की विद्युत है । यही कारण है सुगंधित चीजे हमें सकून देती है । दुर्गन्ध विद्युत की कमी दर्शाती है । इस लिये दुर्गन्ध से हमें चिढ़ होती है ।
-सुगंध से रोग भी ठीक होते है कृत्रिम सुगंध से फायदा नहीं होता ।
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