-वासना पर नियंत्रण
-कई. बार अपवित्र विचार अर्थात वासना के विचार बहुत तुफान मचाते है । दिमाग फटने को आता है । गंदे विचारो से अशांति बढ़ जाती है और मनुष्य बहुत घटिया हरकत कर बैठता है जिस से सामाज में नाक कटवा लेता है । ये समस्या कभी न कभी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आती है जब वह न चाहते हुए भी अपवित्र विचारो को रोक नही पाता । कई बार ज्ञानी ध्यानी भी फेल हो जाते है । विद्यार्थी भटक जाते हैं ।
-ऐसे विचारो को रोकने का कोई उपाय नज़र नही आता । लोग कहने लगते हैं ब्रह्मा अपनी बेटी फर फिदा हो गया था । देवता भी इस विकार को नही जीत सके हम तो सधारण मनुष्य है हम कैसे जीत सकते हैं ।
-वासना के विचारो को जीतना असम्भव माना जाता है ।
-एक बात याद रखो काम विकार को हम केवल भगवान की याद से समूल नष्ट कर सकते हैं ।
-परंतु सारी दुनिया भगवान को याद नही करती । हम किसी पर जबरदस्ती नही कर सकते कि आप भगवान को याद करो ।
-परंतु इस विकार से सारी दुनिया पीडित है । अतः इस विकार से छूटना चाहते हैं । क्या करें ?
-सदा याद रखो दुनिया में कोई काम असम्भव नही होता । ऐसे ही इस असम्भव माने जाने वाले विकार को भी हर व्यक्ति जीत सकता है ।
-जब मन में यह विकार तीव्रता से उठे तुरंत साँस बंद कर लो और मन ही मन भगवान को याद करो । जब साँस लेने के लिये मन छटपटाने लगे तब साँस ले लो । साँस लेने के बाद फ़िर साँस रोक लो जितनी देर तक रोक सकते हैं और भगवान .को याद करो या कहो मै शांत हूँ शांत हूँ शांत हूँ । ये प्रक्रिया दोहराते रहो । पाँच से दस मिनिट के अन्दर कैसी भी भयानक वृत्ति हो वह शांत हो जायेगी ।
-इस वृत्ति को और जल्दी ख़त्म करने के लिये उपरोक्त अभ्यास करते हुए 10-15 क़दम इधर उधर टहलते रहो तो देखना कैसी भी भयानक वृत्ति हो 3 से 5 मिनिट में ख़त्म हो जायेगी । कर्म इंद्रियां शांत हो जायेगी ।
-यह विधि साइंटिफिक है ।
-जैसे कोई हमारा गला दबा दे तो हम अपनी जान बचाने के लिये सब कुछ छोड़ने को तैयार हो जाते है ।
-ऐसे ही यहां साँस का रोकना अर्थात अपना गला दबा लिया इसलिये मन अपने को जीवित रखने लिये अपने सब विचार छोड़ने को तैयार हो जाता है ।
-इस तरह कोई भी, ज्ञानी चाहे अज्ञानी अपने अपवित्र विचारो को जीत सकता है ।
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