"हम बंगालको गुजरात नही बनने देंगे" : टाटा को सिंगुर से भगाकर सत्ता में आयी ‘समाजवादी’ ममता अब चाहती हैं कि ‘पूंजीवादी’ अडानी उनकी डूबती किस्मत को बचाएं
टाटा कंपनी को पश्चिम बंगाल (सिंगूर) से भगाकर सत्ता में आई ममता बनर्जी ने मोदी के खासम खास गौतम अडानी को पश्चिम बंगाल में लूट का आमंत्रण देकर स्वागत किया है।
■ 2 दिसंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के राज्य सचिवालय ‘नाबाना’ में मोदी के खास उद्योगपति गौतम अडानी से मुलाकात की। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी भी इस बैठक में मौजूद रहे।
■ यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली। दोनों के बीच पश्चिम बंगाल में निवेश के विकल्पों पर बातचीत हुई।
■ अगले वर्ष अप्रैल में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में ममता बनर्जी पिछले हफ्ते जब पीएम मोदी से मिलने दिल्ली आई थीं, उसी दौरान उन्होंने बिजनेसमैन गौतम अडानी को आमंत्रण दिया था।
■ इससे पहले 19 जुलाई 2021 को ममता बनर्जी सरकार में उद्योग मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा था कि ममता बनर्जी सरकार चाहती है कि राज्य में कोई बड़ा उद्योगपति 2 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना करे।
■ सिंगूर आंदोलन के लिए टाटा को जिम्मेदार न ठहराते हुए उद्योग मंत्री ने कहा कि हमारी उनके साथ कभी भी कोई दुश्मनी नहीं थी, न ही हमारी लड़ाई उनके साथ थी। वे देश और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित घरानों में से एक हैं। इस हंगामे के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
■ सिंगूर में साल 2006 में टाटा नैनो के प्लांट के लिये भूमि अधिग्रहण के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक आंदोलन चलाकर ममता बनर्जी राष्ट्रीय फलक पर आईं और पांच साल बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने वामपंथी शासन को उखाड़कर फेंक दिया।
■ सिंगूर आंदोलन 2006 में शुरू हुआ था। टाटा ग्रुप इस स्थान पर दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने की फैक्ट्री लगाना चाह रहा था। तब बंगाल में वाम दलों की सरकार थी। लेफ्ट फ्रंट सरकार ने इस स्थान पर किसानों की 997 एकड़ जमीन अधिगृहीत की और इसे कंपनी को सौंप दिया।
■ उस वक़्त ममता बनर्जी विपक्ष की नेता थीं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ 26 दिनों का भूख हड़ताल किया और ममता के शब्दों में जबरन ली 347 एकड़ ज़मीन की वापसी की मांग की। इस बाबत राज्य सरकार और ममता के बीच कई बार बातचीत हुई लेकिन मुद्दा सुलझाया नहीं जा सका।
इस दौरान राज्य में जमकर हंगामा हुआ। और फिर आखिरकार 2008 में टाटा कंपनी सिंगूर से निकलकर गुजरात के साणंद चली गयी। 2016 में किसानों से ली गई ज़मीन को ममता सरकार ने वापस किसानों को सौंप दे दिया।
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