संसद का आज से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है हालांकि सरकार के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और शीर्ष न्यायालय के पेगासस जासूसी कांड की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित करने के बाद यह मुद्दे भले ही न रह गये हों लेकिन एमएसपी पर विपक्ष किसानों के साथ खड़ा नजर आयेगा जबकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ ही एमएसपी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित करने का ऐलान किया है ...…
इसके बावजूद विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करने की रणनीति में जुटा हुआ है लखीमपुर की घटना के बहाने स्वराष्ट्र राज्यमंत्री के इस्तीफे की मांग के साथ ही महंगाई का मुद्दा जोर-शोर से उठाये जाने के कारण सदन के सुचारू संचालन की राह आसान नहीं होगी ...…
जबकि संसद का शीतकालीन सत्र काफी महत्वपूर्ण होता है इसमें तीनों कृषि कानून जहां वापस लिये जायंगे वहीं बैंकों के निजीकरण और क्रिप्टोकरेंसी के नियमन जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश किये जायेंगे ...…
संसद का समय महत्वपूर्ण होता है और उसकी एक मिनट की कारवाई पर लगभग ढाई लाख रुपये खर्च आते जो जनता की गाढ़ी कमाई के होते हैं वैसे में हंगामा कर संसद के संचालन को बाधित करना जनता के साथ अन्याय कहा जायगा जनहित के मुद्दे पर सार्थक चर्चा जरूरी है लेकिन केवल राजनीति के लिए विरोध कतई उचित नहीं है ...…
इसलिए विपक्ष का दायित्व बनता है कि वह संसद के सुचारू संचालन में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करें वहीं सरकार विपक्ष के हर उचित अनुचित प्रश्न का उत्तर देने के लिए सरकार को भी तैयार रहना चाहिए हर सत्र के पहले सर्वदलीय-बैठक में संसद को सुचारू चलाने का आग्रह किया जाता है लेकिन इसके बावजूद संसद सत्र को बाधित कर जनता का करोड़ों रुपया पानी में बहा दिया जाता है जो कतई उचित नहीं है संसद को चलाने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की होती है इसलिए दोनों को जनता के लिए जवाबदेह बनना होगा तभी देश के लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी !!!!!!!!!
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