संसद की कार्यवाही में हर मिनट खर्च होते हैं 2.5 लाख से ज्यादा, एक हंगामे से होता है करोड़ों का नुकसान
◆ संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ जिसके 23 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है
◆ इससे पहले मानसून सत्र के दौरान कृषि कानून और पेगासस जासूसी कांड को लेकर जमकर बवाल हुआ था। जिस वजह से संसद की कार्यवाही में जमकर व्यवधान पैदा हुआ।
◆ वैसे तो देखने में संसद का हंगामा आम लगता है, लेकिन उसके एक-एक मिनट का खर्च लाखों में होता है आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
70-80 दिन होता है काम
◆ भारतीय संसद में एक साल में सिर्फ तीन सत्र होते हैं, जो- बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र हैं
◆ अगर इसमें से छुट्टियों को निकाल दिया जाए तो केवल 70-80 दिन काम होता है, लेकिन ये तभी संभव है जब विपक्षी दल हंगामा ना करें
◆ अब हर साल हंगामा पहले की तुलना में बढ़ता जा रहा है जिससे हर दिन टैक्सपेयर्स का करोड़ों रुपये बर्बाद होता है
एक घंटे का खर्च करोड़ में
◆ वहीं खर्च की बात करें, तो संसद की एक मिनट की कार्यवाही का खर्च लगभग 2.6 लाख रुपये आता है इस हिसाब से एक घंटे की कार्यवाही का खर्च 1.5 करोड़ रुपये हुआ
◆ पिछले मानसून सत्र के दौरान ही हंगामे की वजह से 216 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था
इस बार 19 दिन होगा काम
◆ संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है अगर ये पूरा चला तो कुल कामकाज 19 दिन होगा
◆ इसमें 30 बिल संसद में पेश किए जाने हैं
◆ जिसमें सोमवार को कृषि कानून वापसी संबंधित बिल पास हो गया
◆ वैसे तो नए कृषि कानून ही हंगामे की मुख्य वजह थी लेकिन अब विपक्ष MSP के कानूनी अधिकार पर अड़ा है
◆ जिसमें सरकार की ओर से कमेटी गठित करने का ऐलान कर दिया गया
◆ इसके अलावा लखीमपुर कांड पर भी हंगामा हो सकता है, जिसमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की मांग हो रही है
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