सबसे पहले तो ये समझना होगा कि आखिर MSP का मतलब क्या होता है ? MSP का मतलब होता है मिनिमम सपोर्ट प्राइज
-कुछ लोग कहते हैं कि जब माचिस की डिब्बी पर भी MRP लिखा होता है तो फसलों पर MSP लिख दिया जाए क्या दिक्कत है ?
-लेकिन MSP और MRP में फर्क है ? MRP का मतलब होता है मैक्सिमम रीटेल प्राइज... यानी अधिकतम खुदरा मूल्य... इसका मतलब अगर माचिस की एक डिब्बी पर MRP 1 रुपए लिखी हुई है तो इसका मतलब है कि दुकानदार इस माचिस को एक रुपए से ज्यादा का नहीं बेच सकता है
-फसलों पर MRP लिखने में तो कभी कोई दिक्कत है ही नहीं क्योंकि ? MRP का मतलब तो यही होगा कि चावल की फलानी बोरी को इतने से ज्यादा में नहीं बेचा जा सकता है
-MRP भी कंपनी तय करती है कोई सरकार नहीं तय करती है लेकिन MSP हमेशा बाजार तय करता है... यानी माचिस की डिब्बी मान लीजिए गीली हो गई है उसे सुखाना पड़ेगा तो दुकानदार ग्राहक से मोलभाव करके एक रुपए की डिब्बी को 50 पैसे में बेच सकता है अब जरा विचार कीजिए कि अगर ये नियम होता कि माचिस पर MSP लिखी होती और MSP 75 पैसे होती (मान लीजिए) तो गीली माचिस की डिब्बी 50 पैसे में बिक ही नहीं पाती और दुकानदार का नुकसान हो जाता
-इसीलिए MSP बाजार ही तय करता है सरकार भी बाजारा और दूसरी आर्थिक परिस्थितियो के बीच संतुलन बनाकर MSP बताती है लेकिन उसमें भी बाजार की भूमिका बहुत अहम होती है ताकी ना बेचने वाले किसान को दिक्कत हो और ना खऱीदने वाले ग्राहक को
-किसान आंदोलन में एक बहुत बड़ा झूठ ये भी बोला गया है वो 100 प्रतिशत किसानों के प्रतिनिधि है ये बात पूरी तरह से इसलिए गलत है क्योंकि देश के 84 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो पैदा की हुई फसल का इस्तेमाल अपने भोजन के लिए ही कर लेते हैं सिर्फ 16 प्रतिशत किसान ही हैं जिन पर MSP का असर होता है
-किसान के लिए बनाए गए स्वामिनाथन आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि गेहूं और चावल पर MSP दिया जाना खत्म किया जाना चाहिए । सवाल ये है कि जब किसान नेता स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किए जाने की बात करते हैं तो स्वामीनाथन आयोग की कही हुई इस बात को क्यों भूल जाते हैं ?
-एक और बात महत्वपूर्ण है अगर मान लीजिए चावल की 20 किस्में हैं तो क्या सरकार चावल की 22 किस्मों का न्यूयनतम मूल्य घोषित करेगी ? दरअसल संसद कोई प्राइस तय करने वाली संस्था नहीं है जो गारंटी का कानून बनाए सरकार तो सिर्फ एक कमेटी बना सकती है जो MSP का निर्धारण कर सकती है...
-और ये लोग कह रहे हैं कि MSP का गारंटी कानून लेकर आओ तो क्या जब मूल्य बदलेगा तो कानून भी बदल जाएगा ? क्या सांसद महोदय रोज रोज दिल्ली आकर कीमत बदलवाने के लिए कानून बदलवाएंगे ? इसलिए MSP पर गारंटी कानून की मांग जायज नजर नहीं आती है ! MSP की मांग... अमीर किसानों की और अमीर होने की योजना का एक और हिस्सा भर है... इसका छोटे और गरीब किसानों से कोई लेना देना है ही नहीं
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