जब हम कसाब के लिये फाँसी माँग रहे थे तब उम्मीद थी तुम साथ आओगे लेकिन तुम इसे संघ की साजिश बता रहे थे ...…
जब हम दादरी पर तुम्हारे साथ खड़े थे तो लगा तुम भी डॉ.नारंग पर साथ आओगे पर तुम इसे महज रोड रेज बता रहे थे ...…
जब JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लग रहे थे तो लगा खून खौलेगा तुम्हारा भी लेकिन तुम इसे बोलने की आजादी बता रहे थे ...…
लौट रही थी जब लाशें सैनिकों की रोज कश्मीर के आतंकियों की गोली से छलनी होकर तो लगा तुम भी आँसू बहाओगे पर तुम पैलेट गन बंद करो पुकार रहे थे ...…
जब देश रो रहा था उरी के अठारह जवानों की शहादत पर लगा नम होगी तुम्हारी आँखे अब तो पर अफसोस तुम इसे मोदी जी को कोसने का मौका समझ जश्न मना रहे थे ...…
जब घुसके मारा सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक से लगा तुम कहोगे वाह! मेरे देश के जवानों फक्र है तुम पर पर तुम तो सबुत दो सबुत दो चिल्ला रहे थे ...…
मार दिया एनकाउंटर में उन 8 लोगों को जो भाग कर फिर से छलनी करते हमें हमें लगा मजहब भुलाकर पुलिस की पीठ थपथपाओगे पर तुम सिर्फ फर्जी फर्जी चिल्ला रहे थे ...…
जब हमने काले धन की समस्या पर कारवाई चाही तुम लाइन में लगने से होने वाली परेशानी गिना रहे थे ...…
ये भारत की गंदगी है प्यारे ......…
यहाँ दुश्मनों की गोलियां खाकर शहीद होने वाले को कोई नहीं पूछता सल्फास की गोलियां खाने वाले को मिलता है एक करोड़ ...…
लेकिन चिंता मत करो 56 इंची चक्की में पिसकर तुम्हारे मन की सारी गंदगी निकाल दी जाएगी ...…
बस कुछ दिन और इंतजार करो !!!!!!
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