माफियाओं के दबाव में आकर कुछ खास चीजों की एक मिनिमम सपोर्ट प्राइस की गारंटी देना कितना खतरनाक हो सकता है वह आप गूगल पर गवर्नमेंट चीज इन यूएसए लिखकर सर्च करिए ...…
1977 में अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर थे उस वक्त अमेरिका के डेरी उद्योग वालों ने जबरदस्त लॉबिंग करके अमेरिकी सरकार को यह मजबूर कर दिया कि वह दूध की एक सरकारी कीमत तैय करें और हर 6 महीने में दूध की कीमत बढ़ाने की गारंटी दे ...…
जिम्मी कार्टर मिल्क लॉबी के दबाव के आगे झुक गए और उन्होंने दूध की एक मिनिमम सपोर्ट प्राइस तैय कर दी और यह भी गारंटी दे दिया कि हर 6 महीने में इसे 10% बढ़ाया जाएगा उसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिका के किसान फल का उत्पादन या दूसरे सारे काम छोड़ कर डेयरी फार्मिंग करने लगे ...…
अब इतनी ज्यादा दूध का उत्पादन हो गया कि अमेरिका सरकार के पास दूध रखने की जगह नहीं बची क्योंकि जाहिर सी बात है जिस चीज में फायदा होगा लोग उसे ही उगाने लगेंगे या लोग वही काम करेंगे और यदि डिमांड और सप्लाई का अनुपात बिगड़ जाएगा तब सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा ...…
फिर अमेरिका सरकार ने किसानों से कहा अब हम दूध नहीं खरीदेंगे बल्कि दूध के बदले चीज खरीदेंगे और चीज की एक कीमत तैय कर दी गई और चीज की कोई क्वालिटी का पैमाना नहीं रखा गया नतीजा यह हुआ कि किसान घटिया क्वालिटी का चीज बनाकर अमेरिकी सरकार को देते रहे ...…
अमेरिकी सरकार टैक्सपेयर के पैसे डेयरी माफिया को देती रही और बेहद घटिया सड़ा हुआ चीज कोई कंपनी लेने को तैयार नहीं थी ...…
अमेरिकी सरकार के गोडाउन में करोड़ों टन चीज इकट्ठा हो गया और लोग बताते हैं कि कुछ भूमिगत स्टोर में यानि लाइमस्टोन की खदानों में आज भी गवर्मेंट चीज रखा हुआ है ...…
अंत में अमेरिका सरकार ने गरीबों में मुफ्त में सरकारी चीज बांटे लेकिन कोई गरीब भी उसे नहीं खाता था जाहिर सी बात है सड़ा हुआ चीज कोई नहीं खाएगा ...…
मात्र 4 सालों में जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठ गया और टैक्सवेयर विरोध में उतर आए अमेरिका की पूरी एक नामी गड़बड़ होने लगी तब जाकर इस फैसले को वापस कर लिया गया और सरकार ने कहा कि अब वह किसी भी चीज के खरीदी मूल्य, प्रोडक्शन पॉलिसी, डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी में अपना दखल नहीं देगी ...…
सोचिए ये दल्ला🐗 राकेश टिकैत मिनिमम सपोर्ट प्राइस की गारंटी मांग रहा है लेकिन सवाल यह है कि अनाज की गुणवत्ता कौन तय करेगा? अगर सरकार गेहूं, धान या गन्ना या किसी कमोडिटी की एक मिनिमम सपोर्ट प्राइस तैय करती है तब उसमें एक क्लॉज होता है कि उसकी क्वालिटी क्या होनी चाहिए? अगर कमोडिटी उच्च क्वालिटी की नहीं होती है तब सरकारी खरीद केंद्र उसे खरीदने से इंकार कर देते हैं ...…
लेकिन ये दल्ला🐗 राकेश टिकैत यह चाहता है कि सरकार एक कानून बनाकर गारंटी दे दे और फिर सड़ा हुआ धुन वाला गेहूं भी सरकार पूरी कीमत देकर खरीदे और जो अमेरिका में जिम्मी कार्टर के टाइम में गवर्नमेंट चीज का जो हाल हुआ वही हाल भारत का हो जाए ...…
एक चैनल पर भारतीय किसान यूनियन का एक दलाल बैठा था और वह एमएसपी की गारंटी पर बड़ी-बड़ी बात कर रहा था !!!!!!!!
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