इन दिनों छद्म किसान सिंघु बॉर्डर पर अटके हुए हैं हटना ही नहीं चाहते पहले बोले तीनों बिल वापस लो लो भाई ले लिए अब घर जाओ और मट्ठे के साथ गुड़ खाओ ...…
ना जी हम ना जाएंगे हम तो लठ खाएंगे अरे भाई लठ ना खिलाए जाएंगे सुना नहीं बापू ने क्या कहा था अहिंसा परमोधर्म ...…
तो बस पहले गर्म गर्म हवा खाई अब ठंडी ठंडी हवा खाओ लठ ना मिलेंगे खाने के लिए ...…
मेरी सलाह मानो तो घर जाओ और गेहूं की बम्पर पैदावार लो फिर फॉर्च्यून, नेचर फ्रेश और आशीर्वाद की तरह “किसान ब्रांड आटा” बाजार में उतारो ...…
गेहूं बेचने के चक्कर में मत पड़ना गेहूँ से आटा बनाना कोई रॉकेट साइंस तो है नहीं और अगर नहीं है तो फिर गेहूँ ही क्यों बेचना? पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान आईटीसी की तरह गेहूँ की प्रोसेसिंग करके एक ब्रांड क्यों नहीं डवलप करते? जितना दिमाग सड़क रोको आंदोलन में खपा रहे उतने में तो इंडस्ट्री खड़ी कर देते हर ग्राम पंचायत में ...…
कल मेरे एक परिचित ने केरला आयुर्वेद का अश्वगंधादि लेहयम मंगाया सौ ग्राम में साढ़े चार ग्राम मात्र अश्वगंधा है साढ़े सात ग्राम घी बाकी 75 ग्राम गुड़ और चीनी और दो चार ग्राम अन्य जड़ी बूटियां चटनी बना कर हजार रुपये किलो बेच रहा है ...…
मेरे पास जमीन होती तो पूरी जमीन में अश्वगंधा और अन्य जड़ी बूटियां लगा देता गेहूं धान की तो सोचता भी नहीं ...…
कुछ इन्नोवेटिव करना सीखो धरना नहीं वैसे बस धरना ही देना है तो 2022 तक दो 2024 तक दो ...…
धान कट गए गेहूँ बो ही दिए होंगे अब खाली दिमाग शैतान का घर धरना ही तो दोगे ऊपर से एक शैतान का संरक्षण उसका कुछ ना बिगड़ेगा अपनी सोचो !!!!!!!!!
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