गली क्या है?
लोग अक्सर गुस्सा आने पर गली क्यों देते है?
-गाली से संसार का हर व्यक्ति परिचित है और कभी ना कभी हर इंसान इसका जीवन में उपयोग करता है । गाली को कोई सहन नही करता । कोई कितना भी प्यारा सम्बन्ध हो गाली देने पर वह भी ख़त्म हो जाता है । दशकों की मित्रता पल में ख़त्म हो जाती है । यही जबान तख्त पर बिठाती है और यही ज़बान तख़्ते पर भी चढ़ाती है । छोटी छोटी बातों मे गाली देने पर हत्याएं तक हो जाती है । जो जितना कमजोर होगा वह उतना ही ज्यादा गाली देता है ।
-गाली और कूछ नही है यह हम तभी प्रयोग करते है जब हमें समझ नही आता कि किसी बात या परिस्थिति के जवाब में साही शब्द क्या कहने चाहिये । यह शब्द हम लाचारी में प्रयोग करते हैं जब हमे समझा नही जाता, हमे सुना नही जाता, तथा हमें लगता है कि हमारे हित प्रभावित हो रहे हैं ।
-गाली एक राख की तरह है जिसे उड़ा दिया जाता है ।
-जब आप गाली सुने तो यह अहसास करें कि इसे उस व्यक्ति ने चुना है, जो नही जानता कि क्या कहना है । इसे बस धूल की तरह हवा में उड़ा रहा है ।
-जब आप अपने साथी से हर समय शिकायत करते रहेंगे तो वह एक दिन आप की शिकायत सुनना छोड़ देगा । तब आप दुखी हो कर गाली देने लगेंगे ।
-इसलिये अपनी बात दूसरो को कैसे सुनानी है, उस की युक्ति क्या है, ताकि गाली देने की नौबत ना आये ।
-आप सिर्फ ठीक ढंग से अपने मन मे सोचने लग जाओ तब वह आप की बात स्थूल में भी सुनने लग जायेगें । अगर आप अपने मन में उल्टी सुलटी चाले सोचते हैं तो आप को कोई नही सुनेगा । अगर इधर उधर किसी को सुनायेंगे तो वह हाय हाय ऐसा नही होना चाहिये था, कह कर रह जायेगा आप का दुःख और बढा देगा ।
-जब जब आप को दुःख हो रहा हो तो चेक करना उस समय सिर्फ आप अपने बारे मे सोच रहे होगे । आप अपनी बीमारी, आप अपनी सुविधाओं, आप अपनी आर्थिक स्थिति , आप अपने प्रति लोगो द्वारा किये गये दुर व्यवहार, आप अपने अधिकारों का सोच रहे होते है । जब दुख से लाचार हो जाते है तो गाली देते हैं !
-किसी को सजा देना, पलटवार करना बहुत आसान है लेकिन किसी की गलती को माफ करना, मन से निकाल देना साहस का काम है । अपनी गलती पर डर जाना या छुपा लेना बहुत आसान बात है । अपने अहंकार को एक तरफ़ रख, अपनी गलती स्वीकार कर, दिल से माफी माँगना साहस की बात है । साहस शक्तिशाली मे होता है । जो लोग प्रेम की शक्ति में
कमजोर हैं वह माफ नही कर सकते ।
-क्षमावान मनुष्य सदा आनंद मे रहता है । उसके मन मे कोई कलेश या समस्या जन्म नही लेती । वह सदा दयावान रहता है । दया उसी में होती है जिसके दिल में प्रेम हो ।
-सभी इंसानों के विचारो का असर पूरे यूनिवर्स पर हो रहा है । कहीं भी कुछ गलत हो रहा है या कोई आपदा आ रही है तो इसमे कुछ ना कुछ हमारा भी योगदान है । माफ कर के हम अपने आप और पृथ्वी को दुखों वा बीमारियों के भार से मुक्त कर सकते है । यह हमारी जुम्मेवरी है । जिसके दिल मे प्यार होगा वही जुमेवारी समझेगा ।
-जब हम दूसरो से निस्वार्थ प्रेम करते हैं तब उन्हे क्षमा कर देते हैं और हमें मानसिक आजादी का आनंद मिलता है ।
- फसलों के अच्छी तरह फलने फूलने मे जो भूमिका खाद की होती है वही भूमिका रिश्तो को मजबूत और उनमे मिठास और सदभावना भरने मे क्षमादान की है ।
-कुछ लोग क्षमा को कायरता समझते हैं या कमजोरी समझते हैं । वे कमजोर लोगो से बदला लेते हैं । अगर सामने वाला शक्तिशाली है तो वे बाहर से उसके प्रति क्षमा का ढोंग करते हैं । लेकिन मन ही मन उसे कोसते रहते हैं । उसकी आलोचना करते हैं, उसे मेरी हाय लगेगी, बददुआ लगेगी, भगवान उसे माफ नही करेगा । ऐसे लोगो के लिये क्षमा मजबूरी का नाम है । ऐसे लोगो के दिल में प्यार नही होता सिर्फ उनके बोल मे प्यार का दिखावा होता है ।
-क्षमा कमजोरी नही, क्रोध और अहंकार को पालना कमजोरी है । बुरा सोचना, बददुआ देना सबसे आसान है क्यों कि आप के अन्दर झाँक कर कोई नही देख सकता कि मन मे आप क्या कर रहे हैं । अगर आप के दिल मे प्यार है तो उसके प्रति अच्छा सोचो ये सोच सामने वाले को मुक्त करे ना करे परंतु आप को मानसिक दुखों से मुक्त कर देगी ।
-रास्ते खराब हैं , गंदगी है, ट्रेफिक जाम का बुरा हल है, सब रिश्वतखोर हैं । घर मे सुख चैन नही है । हर काम मे जुम्मेवार दूसरे को मानते हैं तो यह दोष वृत्ति आप के मन मे जो प्यार है उसे सुखा देगी । आप किसी को माफ नही कर सकेंगे तथा धीरे धीरे रोगी और दुःखी हो जाएंगे !
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