वास्तविकता एक बूढ़ी माता मंदिर के सामने भीख माँगती थी एक संत ने पूछा- आपका बेटा लायक है फिर यहाँ क्यों???
बूढ़ी माता बोली- बाबा, मेरे पति का देहांत हो गया है मेरा पुत्र परदेस नौकरी के लिए चला गया जाते समय मेरे खर्चे के लिए कुछ रुपए देकर गया था वे खर्च हो गये इसीलिए भीख माँग रही हूँ।
संत ने पूछा- क्या तेरा बेटा तुझे कुछ नहीं भेजता???
बूढ़ी माता बोली- मेरा बेटा हर महीने एक रंग-बिरंगा कागज भेजता है जिसे मैं दीवार पर चिपका देती हूँ।
संत ने उसके घर जाकर देखा कि दीवार पर 60 बैंक ड्राफ्ट चिपकाकर रखे थे प्रत्येक ड्राफ्ट 50,000/- रुपए राशि का था।
पढ़ी-लिखी न होने के कारण वह नहीं जानती थी कि उसके पास कितनी संपति है संत ने उसे ड्राफ्ट का मूल्य समझाया।
हमारी स्थिति भी उस बूढ़ी माता की भाँति ही है ...…
हमारे पास धर्मग्रंथ तो हैं पर माथे से लगाकर अपने घर में सुसज्जित कर के रखते हैं जबकि हम उनका वास्तविक लाभ तभी उठा पाएगें जब हम उनका अध्ययन, चिंतन, मनन करके उन्हें अपने जीवन में उतारेगें।
हमें अपने धर्मग्रंथों, त्योंहारों, परंपराओं की वैज्ञानिकता को समझना एवं अनुसरण करना चाहिए lllllllll
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