चोटी ( शिखा ) प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य रखना चाहिए💯✅
#शिखासूत्रकावैदिकविज्ञान
प्रत्येक व्यक्ति में पूरा ब्रह्मांड समाहित होता है और सिर ऊपरी भाग का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है और सामने के भाग का भाग कपाल प्रदेश , कपाल प्रदेश का विस्तार सिर के आधे भाग तक है , दोनों की सीमा पर मुख्य मस्तिष्क.....❗
ब्रह्मांड का जो केन्द्रबिन्दु है उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं , ब्रह्मरंध्र में सुई की नोंक के बराबर एक छिद्र है जो अति महत्वपूर्ण है 👉सारी अनुभूतियां , दैवी जगत् के विचार , ब्रह्मांड में क्रियाशक्ति और अनन्त शक्तियां इसी ब्रह्मरंध्र से प्रविष्ट होती हैं , हिन्दू धर्म में इसी स्थान पर चोटी ( शिखा ) रखने का नियम है.. ब्रह्मरंध्र से निष्कासित होने वाली ऊर्जा शिखा के माध्यम से प्रवाहित होती है 😕
वास्तव में हमारी शिखा जहां एक तरफ ऊर्जा प्रवाहित करती है , वहीं दूसरी ओर उसे ग्रहण भी करती है 👉वायुमंडल में बिखरी हुई असंख्य विचार तरंगें और भाव तरंगें शिखा के माध्यम से ही मनुष्य के मस्तिष्क में प्रविष्ट होती हैं , कहने की आवश्यकता नहीं हमारा मस्तिष्क एक प्रकार से रिसीविंग और ब्रॉडकास्टिंग सेंटर का कार्य "शिखारूपी एंटीना"🔆 या एरियल के माध्यम से करता है , मुख्य मस्तिष्क ( सेरिब्रम ) के बाद लघु मस्तिष्क ( सेरिबेलम ) है और ब्रह्मरंध्र के ठीक नीचे अधो मस्तिष्क ( मेडुला एबलोंगेटा ) की स्थिति है , जिसके साथ एक 'मेडुला' नामक अंडाकार पदार्थ संयुक्त है , वह मस्तिष्क के भीतर विद्यमान एक तरल पदार्थ में तैरता रहता है , मेरूमज्जा का अन्त इसी अंडाकार पदार्थ में होता है , यह पदार्थ अत्यन्त रहस्यमय है 🔅आज के वैज्ञानिक भी इसे समझ नहीं सके हैं , बाहर से आने वाली परिदृश्यमान शक्तियां अधो मस्तिष्क से होकर इसी अंडाकार पदार्थ से टकराती हैं और योग्यतानुसार 👉मानवीय विचारों , भावनाओं , अनुभूतियों में स्वतः परिवर्तित होकर बिखर जाती हैं 〽️
योगसाधना की दृष्टि से मुख्य मस्तिष्क आकाश है , मनुष्य जो कुछ देखता है , कल्पना करता है , स्वप्न देखता है 👉यह सभी अनुभव उसको इसी आकाश में करना पड़ता है 🙏🚩
अतः चोटी सभी व्यक्ति को अवश्य रखना चाहिए 🙏🙏
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