मोदी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि, तय समय से 9 साल पहले गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परियोजनाओं की व्यक्तिगत रूप से निगरानी के साथ ही अधिकारियों को कार्यों को तेजी से निपटाने के लिए नए तौर-तरीके अपनाने पर जोर देते हैं, ताकि कार्यों और परियोजनाओं को तय समय पर पूरा किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी की इस चुस्त-दुरुस्त कार्यशैली का असर भी दिखाई दे रहा है।
‘सीओपी21 (जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन) में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के हिस्से के रूप में भारत ने 2030 तक अपनी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई थी। भारत ने यह लक्ष्य नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया है।’
■ भारत ने बिजली की स्थापित कुल उत्पादन क्षमता में सौर और पवन ऊर्जा समेत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
■ देश की स्थापित अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता 1,50,005 मेगावॉट है। वही परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6,780 मेगावॉट है।
सीओपी-26 में भारत के पांच नए लक्ष्य
【1】भारत 2030 तक अपनी गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक पहुंचाएगा।
【2】भारत 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत अक्षय ऊर्जा से पूरी करेगा।
【3】भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी करेगा।
【4】2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।
【5】वर्ष 2070 तक भारत नेट जीरो (शुद्ध शून्य उत्सर्जन) का लक्ष्य हासिल करेगा।
पर्यावरण को सहेजन की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 2015 में फैसला किया था कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर ली जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 100 गीगावॉट, पवन ऊर्जा का 60 गीगावॉट, बायोमास का 10 गीगावॉट और पन बिजली का 5 गीगावॉट होगा। नवीकरणीय ऊर्जा का उच्च क्षमता लक्ष्य बड़े स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, बेहतर ऊर्जा उपलब्धता और रोजगार के बढ़ते अवसर सुनिश्चित करेगा। ये लक्ष्य हासिल करने के साथ ही भारत कई विकासशील देशों को पछाड़ते हुए हरित ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
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