दोस्तों, आपने भी देखा होगा कि जब कभी आप भारत से बहार किसी यूरोपियन देश या हांगकांग जैसे किसी विकसित देश में जाते है, तो वहां के लोग अक्सर भारतीयों से नफरत करते है. कई बार तो समझ भी नहीं आता कि वे लोग ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे है? आपको भी बहुत बैचेनी होती होगी कि ऐसा क्यों हो रहा है? आज इस लेख में हम आपको यह बताने जा रहे है कि आखिरकार हांगकांग के लोग भारतीयों से नफरत क्यों करते है?
*चलो जानते है, क्यों... नफरत का क्या कारण है?*
हॉन्ग कॉन्ग में करीब एक साल बिताने के बाद एक भारतीय सज्जन की कई लोगों से दोस्ती हो गई थी, लेकिन फिर भी उसे लगा कि वहां के लोग उससे कुछ दूरी बनाकर रखें, वहां के किसी भी दोस्त ने कभी उसे अपने घर चाय पर नहीं बुलाया। था .....?
इस बात को लेकर उन्हें बहुत चिंता हुई, फिर उन्होंने आखिरकार अपने एक करीबी दोस्त से पूछा...?
कुछ झिझक के बाद उन्होंने जो बताया उससे उन भारतीय रईसों के होश उड़ गए।
हॉन्ग कॉन्ग के एक दोस्त ने पूछा, "भारत में 200 साल राज करने के लिए कितने अंग्रेज रुके..."
भारतीय गणमान्य व्यक्ति ने कहा कि "लगभग 10,000 रहे होंगे"
"फिर 32 करोड़ लोगों को इतने साल शासन करने के लिए किसने प्रताड़ित किया......?"
वे आपके अपने लोग थे, है न?
जब जनरल डायर ने आग लगाई थी, जिसने 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाईं, तो ब्रिटिश सेना बिल्कुल नहीं थी......?
एक भी बंदूकधारी ने पलट कर जनरल डायर को क्यों नहीं मारा...?
फिर उसने उन भारतीय गणमान्य व्यक्तियों से कहा कि तुम बताओ कि कितने मुग़ल भारत आए, उन्होंने कितने वर्षों तक भारत पर शासन किया और भारत को गुलाम बनाकर रखा और अपने ही लोगों को इस्लाम में धर्मान्तरित कराया और तुम्हारे विरुद्ध खड़ा किया। पैसे के लालच में अपनों को प्रताड़ित और अपनों के साथ बदसलूकी करने लगे।
आपके अपने लोग कुछ पैसों के लिए सदियों से अपने ही लोगों को मार रहे हैं...?
हम इस स्वार्थी धोखेबाज, देशद्रोही, मतलबी, विश्वासघाती हमले के लिए भारतीय लोगों से कड़ी नफरत करते हैं।
जहाँ तक संभव हो हम भारतीयों की परवाह नहीं करते......?
उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज हमारे देश हांगकांग आए तो एक भी व्यक्ति उनकी सेना में शामिल नहीं हुआ क्योंकि वह अपने ही लोगों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार नहीं थे।
यह भारतीयों का पाखंडी चरित्र है कि वे बिना सोचे समझे पूरी तरह से बेचने को तैयार हैं….?
*भारत में आज भी यही चल रहा है*
चाहे विपक्ष हो या कोई अन्य मुद्दा, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में और अपने फायदे के लिए गतिविधियों में राष्ट्रहित को हमेशा दूसरा स्थान दें। तुम्हारे लिए, मेरा परिवार और मैं पहले जीते हैं, समाज और देश नरक में जाते हैं.....?
*बात कड़वी है पर सच है* यदि अभी भी भारतीयों ने स्वयं को नहीं सुधार तो कभी भी पराधीनता कि बेड़ियों से आजाद नहीं हो सकते है.
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